- 16 July, 2025
जलंधर, जुलाई 14, 2025 — मोन्सिन्योर जोस सेबास्टियन को धर्माध्यक्ष नियुक्त किए जाने के साथ जलंधर धर्मप्रांत ने अपने आध्यात्मिक नेतृत्व के एक नए अध्याय की शुरुआत की है। इस विशेष अवसर पर, प्रार्थना भवन टीवी ने नवनियुक्त धर्माध्यक्ष से एक विशेष इंटरव्यू में बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपनी बुलाहट की यात्रा, पारिवारिक विश्वास की भूमिका, शिक्षा, सुसमाचार प्रचार, और बहुधर्मी पंजाब में ख्रीस्तीय नेतृत्व की अपनी दृष्टि साझा की।
ईसा मसीह के जन्म की पूर्व संध्या पर जन्मे मोन्सिन्योर जोस की बुलाहट की कहानी गहरे धार्मिक पारिवारिक वातावरण में रची-बसी है। वे अपने माता-पिता—विशेष रूप से अपनी माँ की प्रार्थनाओं और गर्भावस्था के दौरान गाए गए ईसा मसीह को समर्पित भजनों—को श्रेय देते हैं, जिनसे उनमें बचपन से ही ईश्वर की सेवा करने की तीव्र इच्छा जागी।
इंटरव्यू के दौरान उन्होंने भावनात्मकता से बताया, "बचपन से ही जब हम शाम की प्रार्थना में बैठते, मेरी एक ही प्रार्थना होती—'मैं एक फादर बनना चाहता हूं।' यह इच्छा कभी गई नहीं" ।
धर्माध्यक्ष जी, मोन्सिन्योर जोस, का मानना है कि यद्यपि सेमिनरी का प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है, लेकिन वह केवल तभी फलदायी होता है जब घर पर पहले से ही नींव रखी गई हो—अनुशासन, प्रार्थना, समुदायिक जीवन और बाइबिल अध्ययन तभी सफल होंगे जब परमेश्वर की सेवा की वास्तविक इच्छा पहले से मौजूद हो।
उन्होंने कहा, "जब पेड़ बड़ा हो जाता है, तब उसमें सुधार करना कठिन होता है। सही निर्माण तभी संभव है जब ज़मीनी स्तर पर इसका निर्माण किया जाये —यानी जब बच्चा घर में हो। यदि बच्चे अपने माता-पिता को विश्वास में जीते हुए देखेंगे, तो बुलाहट का बीज स्वयं ही अंकुरित हो जाएगा।"
जब उनसे जलंधर धर्मप्रांत के लिए उनके दृष्टिकोण के बारे में पूछा गया, तो मोन्सिन्योर जोस जी ने तीन मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही:
"धर्मप्रांत की शक्ति मजबूत परिवारों से आती है। जब पूजन पद्धतियों को समझा और आदरपूर्वक अपनाया जाता है, तो पूरी कलीसिया सुदृढ़ होती है।"
उन्होंने विशेष रूप से स्वर्गीय धर्माध्यक्ष अनिल जोसेफ थोमस कुटो के शिक्षा क्षेत्र में किए गए कार्यों की सराहना की, जिन्होंने पंजाब और हिमाचल प्रदेश में कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की। धर्माध्यक्ष जी ने कहा की उच्च शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में वे कार्य करेंगे।
मोन्सिन्योर जोस ने ख्रिस्तीय जीवन में पवित्र यूखरिस्त को जीवन का केंद्र बनाने पर र ज़ोर दिया और अफसोस जताया कि अभी भी कई विश्वासी इसके वास्तविक महत्व को नहीं समझे हैं।
"जब हमें यह एहसास होता है कि ईश्वर यूखरिस्त में हमारे साथ वास्तव में उपस्थित हैं, तो हमें कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं होती। हर पल्ली में मिस्सा बलिदान केंद्र में होना चाहिए।"
उन्होंने केवल पुरोहितों और धर्मबहनों के लिए नहीं, बल्कि सभी विश्वासियों के लिए गहन शिक्षण (catechesis) की आवश्यकता बताई ताकि हर घर सुसमाचार का साक्षी बन सके।
पंजाब की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सह-अस्तित्व को पहचानते हुए, नवनियुक्त धर्माध्यक्ष जोस जी ने सिख समुदाय की सेवा भावना और गुरुद्वारों की समावेशी भावना की सराहना की। उन्होंने कहा कि हर वह राह जो प्रेम और सत्य की खोज में है, अंततः ईश्वर की ओर जाती है।
"ईश्वर सभी को गले लगाते हैं। पंजाब वह भूमि है जहां ईश्वर की दिव्य आतिथ्य भावना गहराई से महसूस होती है।"
7 जून 2025 को नियुक्त हुए मोन्सिन्योर जोस जी ने अपने नए दायित्व को सत्ता के रूप में नहीं, बल्कि सेवा के बुलावे के रूप में स्वीकार किया है। उन्होंने खुलकर बताया कि कैसे ईश्वर ने उन्हें सपनों, भविष्यवाणियों और संघर्षों के माध्यम से इस सेवा के लिए तैयार किया।
"यह मेरा कार्य नहीं है—यह ईश्वर का कार्य है। बिना पुरोहितों, धर्मबहनों और विश्वासियों की प्रार्थनाओं के कोई भी धर्माध्यक्ष कार्य नहीं कर सकता। मैं सभी से विनम्रता पूर्वक प्रार्थनाओं की याचना करता हूं।"
विश्वास में स्थिर हृदय, धर्मशास्त्रीय गहराई से परिपक्व मन और ईश्वरीय मार्गदर्शन के लिए खुली आत्मा के साथ, मोन्सिन्योर जोस सेबास्टियन जलंधर धर्मप्रांत का नेतृत्व करुणा, साहस और स्पष्टता के साथ करने को तैयार हैं।
इस यात्रा मेंवे विश्वासियों से एक विनम्र विनती करते हैं:
"मेरे लिए और जलंधर धर्मप्रांत के लिए प्रार्थना करें—ताकि हम ईश्वर की कृपा से मिलकर शांति, प्रेम और भलाई के राज्य की स्थापना कर सकें।"
स्रोत: प्रार्थना भवन टीवी इंटरव्यू
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